कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 7 पौधों और जानवरों का संरक्षण

1. वन्यप्राणी उद्यान एवं जीवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

  • (क) वन्यप्राणी अभ्यारण्य ऐसी जगह है जो वन्य जंतुओं को सुरक्षा प्रदान करता है।
  • (ख) यहां प्रायः लुप्तप्राय प्राणियों को सुरक्षा दी जाती है एवं अवैध निकासी, दरिंदगी तथा उनके वातावरण के साथ छेड़छाड़ को निषेध किया जाता है।
  • (ग) यहां पर्यटकों का प्रवेश नियमों के दायरे में नियंत्रित होता है।

2. वन विनाश का निम्न पर क्या प्रभाव पड़ता है? चर्चा कीजिए –

(क) वन्यप्राणी

उत्तर:
वन विनाश का सबसे ज्यादा प्रभाव वन्यप्राणियों पर पड़ता है। हर एक प्राणी दूसरे प्राणी पर निर्भर करता है। वन विनाश की वजह से प्राणियों की मृत्यु की संख्या बढ़ जाती है। उच्च स्तरीय या ऊँचे कोनिकातंत्र वाले प्राणी एवं निचले कोनिकातंत्र वाले प्राणी हमेशा एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। ये पेड़ों और पौधों पर अपने भोजन और जीविका हेतु निर्भर करते हैं। वन विनाश इन सभी प्राणियों के जीवन को नुकसान पहुंचाता है।


(ख) पर्यावरण

उत्तर:
वन विनाश पर्यावरण पर भी भारी प्रभाव डालता है। पेड़-पौधों की कटाई से जमीन ढीली पड़ जाती है, तथा कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में बढ़ जाती है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। मिट्टी की जलधारण क्षमता घटती है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप वन्य में मिट्टी के अन्य गुण जैसे पोषक तत्व, गठित इत्यादि प्रभावित होते हैं।


(ग) अगली पीढ़ी

उत्तर:
वन विनाश की वजह से हमारे आने वाली पीढ़ी पर बुरा असर पड़ेगा। ऑक्सीजन की मात्रा कम होगी और ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव वायुमंडल पर बढ़ेगा। इसके परिणामस्वरूप वार्मिंग बढ़ेगी और तापमान में वृद्धि होगी, जिससे जलपान की उपलब्धता में अव्यवस्था आएगी। उपजाऊ ज़मीन की क्षरण होगी और बाढ़ आने की संभावना बढ़ेगी। इंसानों की जीवन गुणवत्ता भी प्रभावित होगी और उन्हें बचाने के लिए उपाय कठिन हो जाएंगे।


3. संरक्षित वन भी वन्य जीवों के लिए पूर्णरूप से संरक्षित क्यों नहीं हैं?

उत्तर:
संरक्षित वन वे होते हैं जिन्हें लुप्तप्राय प्राणियों और अन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है ताकि वे लुप्त होने से बच सकें। इनके आसपास आदिवासियों का बसेरा होता है और अक्सर वही लोग सुरक्षा सीमा की उंगली करते हुए इन क्षेत्रों में घुस जाते हैं और अपने लाभ के लिए पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं का शिकार करते हैं। इनके फल, फूल, लकड़ी, मांस, चमड़ी और हड्डियों की बिक्री बाजारों में होती है। कुछ आदिवासी बाहरी लोगों के लिए बाधा बन जाते हैं और इंसानों के लिए संकट बन जाते हैं। इन इलाकों को श्रेणियों में बांटा गया है, जहाँ सबसे भीतर वन्य क्षेत्र होता है जहां किसी इंसान का जाना मना है, और सबसे बाहर वन्य क्षेत्र में पर्यटकों को आने की अनुमति होती है। ऐसे हालात में संरक्षित वन होने के बावजूद खतरा बना रहता है।

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